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राष्ट्रकूट राजवंश के शासक- कृष्ण द्वितीय 878-914 ईस्वी



कृष्ण द्वितीय, जिन्हें अक्सर "कन्नड़ सम्राट" कहा जाता है, राष्ट्रकूट वंश के एक प्रबल शासक थे। उन्होंने 878 ईस्वी से 914 ईस्वी तक राज्य किया और अपनी सेना की शक्ति, प्रशासनिक कौशल और कला और संस्कृति के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे।कृष्ण द्वितीय की राजधानी मान्यखेत (आधुनिक मलखेड, कर्नाटक) पर थी।

कृष्ण द्वितीय के शासनकाल में राष्ट्रकूट साम्राज्य अपने उच्च सतह पर था। यह उत्तर से गुजरात से लेकर दक्षिण में तमिलनाडु तक और पश्चिम में कोंकण से लेकर पूर्व में आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ था।

कृष्ण द्वितीय के शासनकाल में अर्थव्यवस्था प्रबल और समृद्ध थी। कृषि, व्यापार और उद्योग सभी फल-फूले रहे थे।


कृष्ण द्वितीय ने कई मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें शामिल हैं:

  • एलोरा के कैलाशनाथ मंदिर: यह एक प्रभावशाली मंदिर है जो भगवान शिव के आदिवासुकी रूप को समर्पित है।
  • एलोरा के दशावतार मंदिर: यह मंदिर भगवान विष्णु के दस अवतारों को समर्पित है।
  • एलोरा के रामेश्वर मंदिर: यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है।
  • पट्टाडकल के पापनाथ मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव के पौराणिक महत्त्व को समर्पित है।


उत्तर भारत में प्रतिहारों से संघर्ष: 882-883 ईस्वी में, कृष्ण द्वितीय ने प्रतिहार राजा महेन्द्रपाल प्रथम के साथ युद्ध किया।युद्ध अनिर्णीत रहा, लेकिन दोनों पक्षों ने शांति समझौता किया।


उत्तर भारत में गंगायुद्ध: 893 ईस्वी में, कृष्ण द्वितीय ने गंगा नदी के किनारे एक युद्ध किया, जिसे गंगायुद्ध के नाम से जाना जाता है, और इसमें पाल राजा नारायणपाल को पराजित किया।इस युद्ध में चालुक्यों ने गंगा नदी के तट पर अपना आधिपत्य स्थापित किया।


दक्षिण भारत में चोलों से संघर्ष: 890 ईस्वी में, कृष्ण द्वितीय ने चोल राजा आदित्य प्रथम के खिलाफ एक युद्ध किया।इस युद्ध में चालुक्यों को पराजित करना पड़ा।


दक्षिण भारत में पश्चिमी चालुक्यों से संघर्ष: 907 ईस्वी में, कृष्ण द्वितीय ने पश्चिमी चालुक्यों के खिलाफ एक युद्ध किया।उन्हें इस युद्ध में विजय प्राप्त हुई और वे पश्चिमी चालुक्यों को अपने अधीन कर लिया।

कृष्ण द्वितीय की मृत्यु 914 ईस्वी में हुई थी।

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