यादव (अहीर) जाति का इतिहास: उत्पत्ति, परंपराएं और प्रसिद्ध व्यक्ति,कुछ अन्य दिलचस्प तथ्य

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यादव (अहीर) भारत की एक प्रमुख जाति है,
जो अपनी समृद्ध इतिहास, संस्कृति और परंपराओं के लिए जानी जाती है। इस लेख में आप, हम इस जाति के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें उनकी उत्पत्ति, सामाजिक संरचना, वेशभूषा, त्योहार,साम्राज्य और शासन,संख्या,विभिन्न क्षेत्रों में निवास और प्रसिद्ध व्यक्तित्व,कुछ अन्य दिलचस्प तथ्य शामिल हैं।


यादव एक आदिवासी क्षत्रिय जाति  है। यादवों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। यादव भारतीय "मूल निवासी" हैं,आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ " मूल निवासी " होता है।"यादव" शब्द का प्रयोग राजपूतों के एक व्यापक समूह के लिए किया जाता था। यादवों को अक्सर भगवान कृष्ण के वंशज माना जाता है,यादव धर्म वैष्णव धर्म को मानते हैं।यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।और वे भगवान कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते हैं। जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्व हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि यादवों को अक्सर कृषि, पशुपालन और व्यापार के व्यवसाय से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो आदिवासी संस्कृतियों के लिए सामान्य व्यवसाय हैं।


" वर्तमान में राजपूत  स्वयं को यादव होने का दावा करते हैं।राजपूत विदेशी आक्रमणकारियों के वंशज है। 5वीं और 6वीं शताब्दी में, भारत पर हूण, शक, और पल्लव जैसे विदेशी आक्रमणकारियों ने आक्रमण किया। इन आक्रमणकारियों ने कुछ भारतीय महिलाओं से शादी की, और उनके वंशज राजपूत बन गए। यादव और राजपूत  दोनों अलग-अलग समुदाय हैं। राजपूत एक विदेशी मूल जाति है जबकि यादव एक भारतीय मूल जाति जाति हैं"


यादवों को आदिवासी क्षत्रिय  समर्थन करने के लिए कुछ ऐतिहासिक प्रमाण हैं। उदाहरण के लिए, कई प्राचीन राजवंशों के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, जिनमें हस्तिनापुर- मेरठ शहर में बसा हुआ. यह कुरु वंश की राजधानी थी।द्वारका - गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित माना जाता है।मथुरा - उत्तर प्रदेश में स्थित है।वृंदावन - उत्तर प्रदेश में स्थित है शामिल हैं।

प्राचीन काल में यादव जाति के प्रसिद्ध राजाओं के नाम:-

  • वसुदेव: वसुदेव यादवों के वृष्णि कुल के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पिता थे।
  • उग्रसेन: उग्रसेन यादवों के मत्स्य साम्राज्य के संस्थापक थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह थे।
  • विश्वजित: विश्वजित यादवों के मत्स्य साम्राज्य के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पुत्र थे।
  • विश्वपाल: विश्वपाल यादवों के मत्स्य साम्राज्य के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पौत्र थे।
  • बलराम: बलराम यादवों के वृष्णि कुल के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे।
  • वासुदेव सेन: वासुदेव सेन यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के वंशज थे।
  • भोजराज: भोजराज यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे वासुदेव सेन के पुत्र थे।
  • अनंगपाल: अनंगपाल यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे भोजराज के पुत्र थे।
  • अंधक: अंधक यादवों के अंधक वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह के चचेरे भाई थे।
  • वृष्णि: वृष्णि यादवों के वृष्णि वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह थे।
  • क्रोष्टा: क्रोष्टा यादवों के क्रोष्टा वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह के चचेरे भाई थे।
  • सहस्रजीत: सहस्रजीत यादवों के सहस्रजीत वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह के चचेरे भाई थे।
  • सुरथ: सुरथ यादवों के सुरथ वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे।
  • देवकी: देवकी यादवों के वृष्णि कुल की राजकुमारी थीं। वे भगवान कृष्ण की माता थीं।

महाराष्ट्र में यादव - यादव साम्राज्य और शासन

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन राजवंशों के बीच संबंध जटिल थे और कई बार वे एक दूसरे के साथ युद्ध में भी शामिल हुए थे।

  • राष्ट्रकूट वंश : (850-1334) ईस्वी में, धुर्वा ने इस वंश की स्थापना की।
  • गोविंद तृतीय (793-814 ईस्वी)
  • अमोघवर्ष प्रथम (814-878 ईस्वी)
  • कृष्ण द्वितीय (878-914 ईस्वी)
  • इंद्र तृतीय (914-929 ईस्वी)
  • अमोघवर्ष द्वितीय (929-930 ईस्वी)
  • कृष्ण तृतीय (939-967 ईस्वी)
  • सिंहदेव: 1210 ईस्वी में, सिंघदेव सिंहासन पर बैठे।
  • कृष्णदेव: कृष्णदेव, सिंघदेव के पुत्र, एक महान योद्धा और विद्वान थे।
  • महादेव: महादेव, कृष्णदेव के पुत्र, ने भी अपनी शक्ति का विस्तार किया।
  • रामचंद्र: 1313 ईस्वी में, रामचंद्र सिंहासन पर बैठे।
  • हरपाल: 1334 ईस्वी में, हरपाल, रामचंद्र के पुत्र, दिल्ली सल्तनत से हार गए।
  • चंद्रादित्य यादव (705-973)यह राजवंश वर्धा और अमरावती क्षेत्र में शासन करता था। इस वंश के प्रसिद्ध शासकों में चंद्रादित्य, ध्रुवराज, भोज और गोविंदराज शामिल हैं।
  • वर्धा यादव (850-1187)यह राजवंश वर्धा और चंद्रपुर क्षेत्र में शासन करता था। इस वंश के प्रसिद्ध शासकों में नंदराज, भोजराज, और पृथ्वीराज शामिल हैं।
  • कोंकण यादव (800-1200)यह राजवंश कोंकण क्षेत्र में शासन करता था। इस वंश के प्रसिद्ध शासकों में चंद्रराज, कल्याणराज, और भोजराज शामिल हैं।
  •  सिलहारा यादव (753-1260)यह राजवंश ठाणे और कल्याण क्षेत्र में शासन करता था। इस वंश के प्रसिद्ध शासकों में पुलकेशिन, अप्पराज, और भोजराज शामिल हैं।
  • गोंड यादव (1300-1750)यह राजवंश गढ़चिरौली और चंद्रपुर क्षेत्र में शासन करता था। इस वंश के प्रसिद्ध शासकों में भोजराज, शंकरराज, और विजयराज शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश में यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन राजवंशों के बीच कुछ ओवरलैप था, और कुछ क्षेत्रों पर एक से अधिक राजवंशों द्वारा शासन किया गया था।

  • काकतीय वंश:यह वंश 12वीं और 13वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के क्षेत्रों में शासन करता था।  इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक प्रतापरुद्रवर्मन थे, जिन्होंने 12वीं शताब्दी में शासन किया था।
  • रेड्डी वंश:यह वंश 14वीं और 15वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में शासन करता था।  इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक प्रोलय रेड्डी थे, जिन्होंने 14वीं शताब्दी में शासन किया था।
  • यादव वंश:यह वंश 8वीं और 9वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में शासन करता था।  इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक गोविंदराज थे, जिन्होंने 8वीं शताब्दी में शासन किया था।
  • चालुक्य वंश:यह वंश 7वीं और 8वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में शासन करता था।  इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक पुलकेशिन द्वितीय थे, जिन्होंने 7वीं शताब्दी में शासन किया था।
  • शातवाहन वंश:यह वंश 230 ईसा पूर्व से 220 ईस्वी तक आंध्र प्रदेश के क्षेत्रों में शासन करता था।  इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक गौतमीपुत्र सातकर्णि थे, जिन्होंने 1वीं शताब्दी में शासन किया था।

मध्य प्रदेश में यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन राजवंशों के बारे में जानकारी सीमित है इनके अलावा, मध्य प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी यादवों द्वारा स्थापित कुछ छोटे-छोटे राजवंश थे।

  • कलचुरी (550-800)550 में स्थापित महिष्मति (आधुनिक महेश्वर) से शासन किया कला, संस्कृति और साहित्य का स्वर्ण युग।
  • तोमर (1100-1305) 1100 में स्थापित ग्वालियर से शासन किया।

गुजरात में यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

इतिहासकारों का मानना ​​है कि सभी यादव राजवंश एक ही वंश से संबंधित थे।यह सूची केवल प्रमुख राजवंशों को दर्शाती है।गुजरात में कई अन्य छोटे यादव राजवंश भी थे।इन राजवंशों का शासनकाल और क्षेत्र भिन्न-भिन्न था।

  • चालुक्य यादव:यह राजवंश 8वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 12वीं शताब्दी तक चला।चालुक्य यादवों ने दक्षिण गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों पर शासन किया।उनके शासनकाल में कला, संस्कृति और शिक्षा का विकास हुआ।भवभूति, मयूर और विद्यापति जैसे प्रसिद्ध कवि इस राजवंश के शासनकाल में हुए थे।
  • यादव (1300-1394)1300 में दिल्ली सल्तनत से स्वतंत्रता प्राप्त की दक्षिण गुजरात पर शासन किया।
  • चंपानेर के यादव (1484-1535)1484 में गुजरात सल्तनत से स्वतंत्रता प्राप्त की चंपानेर पर शासन किया।
  • सोनगिर यादव:यह राजवंश 12वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 16वीं शताब्दी तक चला।सोनगिर यादवों ने गुजरात के सोनगिर क्षेत्र में शासन किया।वे अपने साहस और वीरता के लिए जाने जाते थे।वीरसिंह यादव इस राजवंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे।

कर्नाटक में  यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कर्नाटक में यादवों द्वारा स्थापित किए गए  राजवंशों के अलावा भी कई अन्य यादव वंश थे जो भारत के अन्य भागों में शासन करते थे।

  • देवगिरि यादव वंश (1187-1334 ईस्वी)यह वंश भिल्लम V द्वारा स्थापित किया गया था।इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक सिंधुराज (1210-1247 ईस्वी) और महादेव (1260-1271 ईस्वी) थे।इस वंश ने कला, संस्कृति और वास्तुकला को बढ़ावा दिया।देवगिरि किला इस वंश का प्रमुख स्मारक है।
  • द्वारसमुद्र यादव वंश (985-1346 ईस्वी)यह वंश नृपकम द्वारा स्थापित किया गया था।इस वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक होयसल (1100-1142 ईस्वी) और वीर बल्लाल III (1292-1342 ईस्वी) थे।इस वंश ने कई मंदिरों का निर्माण किया, जिनमें हलेबीडु का होयसलेश्वर मंदिर और बेलूर का चेन्नकेशव मंदिर शामिल हैं।
  • वारंगल यादव (1180-1323):यह राजवंश 12वीं शताब्दी में प्रोल II द्वारा स्थापित किया गया था।वारंगल (आधुनिक वारंगल) इनकी राजधानी थी।इस राजवंश के सबसे प्रसिद्ध शासक गनपतिदेव (1202-1262) थे।गनपतिदेव ने काकतीयों और चोलों से सफलतापूर्वक युद्ध लड़ा।यादव कला, संस्कृति और साहित्य के संरक्षक थे।1323 में, दिल्ली सल्तनत ने वारंगल पर विजय प्राप्त की और इस राजवंश का अंत किया।

पंजाब में   यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन राजवंशों के बारे में जानकारी सीमित है और अभी भी शोध का विषय है।

  • पौरव साम्राज्य :राजा पोरस:  जिन्हें पौरस के नाम से भी जाना जाता है, पोरस का जन्म प्राचीन भारत के मथुरा शहर में हुआ था।एक यदुवंशी राजा थे जो वह 340 ईसा पूर्व से 317 ईसा पूर्व तक पंजाब और सिंध के शासक थे।  उनके पिता का नाम अम्बिक था और उनकी माता का नाम ययोति था। पोरस बचपन से ही एक साहसी और वीर योद्धा थे।उन्होंने कई युद्धों में भाग लिया और हमेशा विजय प्राप्त की।राजा पोरस की पत्नी का नाम लची था। वह एक सुंदर और बुद्धिमान महिला थीं। उन्होंने पोरस को कई युद्धों में जीत दिलाने में मदद की थी।कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पोरस की एक और पत्नी थी, जिसका नाम "हेलेन" था। वह सिकंदर की बहन थी।
  • भाटी वंश: यह वंश 11वीं से 14वीं शताब्दी तक पंजाब और राजस्थान में शासन करता था।
  • जादौन वंश: यह वंश 12वीं से 16वीं शताब्दी तक पंजाब और उत्तर प्रदेश में शासन करता था।

राजस्थान में  यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन राजवंशों का शासनकाल और क्षेत्र एक दूसरे से ओवरलैप हो सकता है इनके अलावा, राजस्थान में कई अन्य छोटे यादव राजवंश भी थे, जिनमें कन्नौज, अलवर, और धार के यादव शामिल हैं।
  • यदुवंशी वंश:यह वंश 10वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 14वीं शताब्दी तक शासन करता रहा।यदुवंशी वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक राजा भोज थे, जिन्होंने धार पर शासन किया।यदुवंशी वंश के शासनकाल में भी कला, संस्कृति और साहित्य का विकास हुआ।यदुवंशी वंश के शासकों ने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण किया, जिनमें भोजपुर मंदिर भी शामिल है।

उत्तर प्रदेश में  यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सभी राजवंश एक दूसरे से संबंधित थे।इनके अलावा, उत्तर प्रदेश में यादवों द्वारा स्थापित कई छोटे राजवंश भी थे।
  • तोमर वंश:यह वंश 10वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 12वीं शताब्दी तक शासन करता रहा।तोमर वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक अनंगपाल थे, जिन्होंने दिल्ली और लाहौर पर भी शासन किया।तोमर वंश के शासनकाल में कला, संस्कृति और साहित्य का विकास हुआ।तोमर वंश के शासकों ने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण किया, जिनमें कुतुब मीनार भी शामिल है।
  • कछवाह वंश:यह वंश 11वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 14वीं शताब्दी तक शासन करता रहा।कछवाह वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक जयसिंह थे, जिन्होंने दिल्ली सल्तनत के अधीन शासन किया।कछवाह वंश के शासनकाल में कला, संस्कृति और साहित्य का विकास हुआ।कछवाह वंश के शासकों ने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण किया, जिनमें आगरा का किला, जयपुर का हवा महल, और आमेर का किला शामिल हैं।
  • गौड़ वंश:यह वंश 12वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था और 14वीं शताब्दी तक शासन करता रहा।गौड़ वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक बलबन थे, जिन्होंने दिल्ली सल्तनत के अधीन शासन किया।गौड़ वंश के शासनकाल में कला, संस्कृति और साहित्य का विकास हुआ।गौड़ वंश के शासकों ने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण किया, जिनमें लखनऊ का इमामबाड़ा, और कुतुब मीनार शामिल हैं।
  • मथुरा का यादव वंश 10वीं शताब्दी में राजा वीर सिंह द्वारा स्थापित किया गया था।और 14वीं शताब्दी तक शासन करता रहा।यादव वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक महाराज कुमार थे ।यादव वंश के शासनकाल में भी कला, संस्कृति और साहित्य का विकास हुआ।यादव वंश के शासकों ने कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण किया, जिनमें मथुरा का कृष्ण जन्मभूमि मंदिर भी शामिल है।

बिहार में  यादव  - यादव साम्राज्य और शासन

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बिहार में कई अन्य छोटे यादव राजवंश भी थे, जिनमें से कुछ केवल कुछ वर्षों या दशकों तक ही चले।

  • कर्णाट वंश:उदय: 10वीं शताब्दी पतन: 12वीं शताब्दी प्रसिद्ध शासक: गोपाल राजधानी: सिमराँवगढ़ उपलब्धियां:कला और संस्कृति का विकास साहित्य का विकास शिक्षा का विकास कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण बौद्धनाथ मंदिर पावापुरी मंदिर नालंदा विश्वविद्यालय
  • पाल वंश:उदय: 8वीं शताब्दी पतन: 12वीं शताब्दी प्रसिद्ध शासक: धर्मपाल राजधानी: गौड़ उपलब्धियां:कला और संस्कृति का विकास साहित्य का विकास शिक्षा का विकास कई मंदिरों और स्मारकों का निर्माण विक्रमशिला विश्वविद्यालय सोमपुरा महाविहार 

यादव जाति भारत की एक बड़ी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है। यह जाति भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करती है और विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

महाराष्ट्र में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

महाराष्ट्र में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गवली, अहिर, राउत, गोदा, मल्ल और गोरख जाति नामों से जाना जाता है।महाराष्ट्र में यादवों की जनसंख्या लगभग 10 मिलियन है। वे महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।

आंध्र प्रदेश में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

आंध्र प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से गोल्ला, गवली और येरोगोल्ला जाति नामों से जाना जाता है।आंध्र प्रदेश में यादवों की जनसंख्या लगभग 10 मिलियन है। वे आंध्र प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।

मध्य प्रदेश में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

मध्य प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से अहीर, गवली, गोप और गोसाई जाति नामों से जाना जाता है।मध्य प्रदेश में यादवों की जनसंख्या लगभग 12 मिलियन है। वे मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 12% हिस्सा बनाते हैं।

गुजरात में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

गुजरात में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गोयल, गवली, ठेठवार, झेरिया और कोसरिया जाति नामों से जाना जाता है।गुजरात में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे गुजरात की कुल जनसंख्या का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं।

कर्नाटक में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

कर्नाटक में यादवों को मुख्य रूप से गोल्ला जाति नाम से जाना जाता है।गोवा में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं गवली,राउत,गोदा,मल्ल,गोरख कर्नाटक में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे कर्नाटक की कुल जनसंख्या का लगभग 8% हिस्सा बनाते हैं।

पंजाब में यादव - यादव समुदाय और उनकी संख्या

पंजाब में यादवों को मुख्य रूप से अहीर, गवली और गोप जाति नामों से जाना जाता है। पंजाब में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं राउत,गोदा,मल्ल,गोरख पंजाब में यादवों की जनसंख्या लगभग 1.5 मिलियन है। वे पंजाब की कुल जनसंख्या का लगभग 2% हिस्सा बनाते हैं।

राजस्थान में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

 राजस्थान में यादव को मुख्य रूप से अहीर, गोप, गोदा, गवली और गोसाई जाति नामों से जाना जाता है।राजस्थान में यादवों की जनसंख्या 10 मिलियन है। वे राजस्थान की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।

उत्तर प्रदेश में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

उत्तर प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से अहीर और गोपाल जाति नामों से जाना जाता है।उत्तर प्रदेश में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं राउत,गोदा,गवली,गोरख,मल्ल,गोसाईउत्तर प्रदेश में यादवों की जनसंख्या 25 मिलियन है। वे उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।

बिहार में यादव- यादव समुदाय और उनकी संख्या

बिहार में यादवों को मुख्य रूप से अहीर और गोपाल जाति नामों से जाना जाता है। बिहार में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं राउत,गोदा,गवली,गोरख,मल्ल,गोसाई अहीर नाम का प्रयोग पूरे बिहार में किया जाता है, जबकि गोपाल नाम का प्रयोग मुख्य रूप से बिहार के पश्चिमी भाग में किया जाता है।बिहार में यादवों की जनसंख्या 15 मिलियन है। वे बिहार की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।

प्रसिद्ध व्यक्ति - यादव समुदाय से प्रख्यात हस्तियां के नाम:-

मुलायम सिंह यादव : समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।

अखिलेश यादव : समाजवादी पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।

शरद यादव : जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ।

ललन सिंह : बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष।

तेजस्वी यादव : राष्ट्रीय जनता दल के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री।

अजय सिंह यादव : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।

राम गोपाल यादव : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता।

ओम प्रकाश यादव :  समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता।

यादवों के बारे में कुछ अन्य दिलचस्प तथ्य 

यादवों को अक्सर "ठाकुर" भी कहा जाता है,ठाकुर नाम का शाब्दिक अर्थ है "मुखिया" या "राजा" यादवों को अक्सर ठाकुर के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे प्राचीन काल में शासन करते थे। यादवों ने भारत पर कई शताब्दियों तक शासन किया है ।इस प्राचीन काल को ही भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है ।
यादवों को अक्सर "अहीर" भी कहा जाता है।अहीर नाम का  शाब्दिक अर्थ है "वीर योद्धा"यादवों को उनके शौर्य और वीरता के लिए भी जाना जाता है।
यादवों को अक्सर "गोसाई " भी कहा जाता है,गोसाई नाम का  शाब्दिक अर्थ है "भक्ति करने वाला" यादवों वैष्णव धर्म का होने कारण उन्हें "गोसाई " नाम से भी जाना जाता है।
यादवों को अक्सर "भंडारी " भी कहा जाता है, भंडारी नाम का  शाब्दिक अर्थ है "व्यापारी" यादवों को प्राचीन काल से ही व्यापार के व्यवसाय से जुड़े होने के कारण उन्हें भंडारी नाम से भी जाना जाता है।
यादवों को अक्सर "गोपाल" भी कहा जाता है, गोपाल नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"
यादवों को अक्सर "गोप" भी कहा जाता है,गोप नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"
यादवों को अक्सर "गोल्ला "भी कहा जाता है,गोल्ला नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"। 
यादव को अक्सर "गवली" भी कहा जाता है,।गवली नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"
यादवों को अक्सर "केशव" भी कहा जाता है, जिसका  शाब्दिक अर्थ है "कृष्ण का अवतार"
यादवों को अक्सर "ठेठवार" भी कहा जाता है,ठेठवार नाम का  शाब्दिक अर्थ है "मूल निवासी"
यादवों को अक्सर "झेरिया" भी कहा जाता है,झेरिया नाम का  शाब्दिक अर्थ है "झरने का निवासी"
यादवों को अक्सर "कोसरिया" भी कहा जाता है,कोसरिया नाम का  शाब्दिक अर्थ है "कोस की भूमि का निवासी"
यादवों को अक्सर "गोयल" भी कहा जाता है,नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"
यादवों को अक्सर "गोदा" भी कहा जाता है,गोदा नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"
यादवों को अक्सर "कोनार "भी कहा जाता है,कोनार नाम का  शाब्दिक अर्थ है "राजा और चरवाहा"। 
यादवों को अक्सर "येरोगोल्ला " भी कहा जाता है,येरोगोल्ला नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों पालने वाला"
यादवों को अक्सर "मनियानी "भी कहा जाता है,मनियानी नाम का  शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"

5वीं शताब्दी में अंतरराष्ट्रीय ऐतिहासिक घटनाएं

5वीं शताब्दी अर्थात आज से लगभग 1,500 साल पहले की है । 5वीं शताब्दी की ऐतिहासिक घटनाएं हैं:-रोमन साम्राज्य का पतन,जर्मनिक जनजातियों का उदय,बाइबिल का अंतिम संस्करण का प्रकाशन,महान चीनी सम्राटों में से एक, सम्राट वू के शासनकाल की शुरुआत।

ग्रंथों वेदों पुराणों में यादवों का उल्लेख

सामान्य तौर पर, पुराणों को 5वी शताब्दी के बाद लिखा गया माना जाता है।कुछ घटनाएं और व्यक्ति 5वी शताब्दी के बाद के समय के हैं। पुराणों में वर्णित धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का विश्लेषण से पता चलता है कि ये मान्यताएं 5वी शताब्दी के बाद विकसित हुईं।इसके अलावा, गीता में कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।पुराणों का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, इस कथन का अर्थ है कि पुराणों में वर्णित घटनाओं और व्यक्तियों को ऐतिहासिक सत्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। पुराणों की रचना का काल निर्णय एक विषम समस्या है। पुराणों में वर्णित घटनाओं और व्यक्तियों की तिथि-निर्धारण के लिए कोई निश्चित आधार उपलब्ध नहीं है।यादव जाति का उल्लेख इन सभी ग्रंथों में मिलता है, पर प्रत्येक में उनके बारे में जानकारी की प्रकृति थोड़ी भिन्न होती है। चलिए एक-एक करके देखते हैं:

ऋग्वेद: ऋग्वेद में यादवों को पांच भारतीय आर्य जनों (पंचजन, पंचक्षत्रिय या पंचमानुष) में से एक के रूप में संदर्भित किया गया है।10.63.7 श्लोक में उन्हें "यदुवंशी" के रूप में वर्णित किया गया है।ऋग्वेद को चारों वेदों में सबसे प्राचीन माना जाता है।वर्तमान  16वीं शताब्दी अकबर के समय में  लिखी गई ऋग्वेद की सबसे पुरानी प्रतिलिपि को "निकल शाखा" कहा जाता है। यह प्रतिलिपि 16वीं शताब्दी के अंत में लिखी गई थी।इसके अलावा,  बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


महाभारत: महाभारत यादवों के बारे में सबसे विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।उन्हें राजा ययाति और रानी देवयानी के पुत्र महाराजा यदु के वंशज के रूप में वर्णित किया गया है।यह उनके विभिन्न उप-समूहों, राजवंशों (जैसे मत्स्य, द्वारका) और वंशावली को भी सूचीबद्ध करता है।कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के सहयोगी के रूप में उनकी भूमिका का प्रमुखता से वर्णन किया गया है।महाभारत का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। वेदव्यास रामायण, महाभारत, और अठारह पुराणों के रचयिता माने जाते हैं। महाभारत के युद्ध का समय आमतौर पर 3102 ईसा पूर्व माना जाता है।महाभारत की रचना का समय आमतौर पर 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच माना जाता है।इसके अलावा,  कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


हरिवंश पुराण: पुराणों में से एक, हरिवंश यादवों को भगवान कृष्ण के वंशजों के रूप में वर्णित करता है।यह उनके सामाजिक-धार्मिक जीवन, परंपराओं और धार्मिक महत्व पर विवरण देता है।भगवान कृष्ण के पूर्वजों, विशेष रूप से वसुदेव और देवकी वंश का विस्तृत वर्णन मिलता है।हरिवंश पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय कृष्णद्वैपायन वेदव्यास को दिया जाता है।हरिवंश पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


विष्णु पुराण में:  यादवों का उल्लेख उनके वंश और उत्पत्ति का विवरण देते हुए किया जाता है।विष्णु पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय पराशर ऋषि को दिया जाता है।विष्णु पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है। विष्णु पुराण अट्ठारह महापुराणों में से एक है  इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


भगवत पुराण में: यादवों का उल्लेख भगवान कृष्ण के जीवन और कार्यों के संदर्भ में किया जाता है।भगवत पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। वेदव्यास रामायण, महाभारत, और अठारह पुराणों के रचयिता माने जाते हैं। भगवत पुराण  की रचना का समय आमतौर प 9वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है। 


ब्रह्मांड पुराण में: यादवों का उल्लेख उनकी विभिन्न शाखाओं और उप-समूहों का विवरण देते हुए किया जाता है।ब्रह्मांड पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वायु ऋषि को दिया जाता है।ब्रह्मांड पुराण का वर्तमान संस्करण 16वीं शताब्दी में या उससे बाद में लिखा गया था।  तुलसीदास का समय 15वीं शताब्दी के अंत और 16वीं शताब्दी की शुरुआत है। इस प्रकार, कुछ विद्वानों का मानना है कि ब्रह्मांड पुराण में कृष्ण के जीवन से संबंधित तत्वों को बाद में जोड़ा गया होगा।अधिकांश विद्वानों का मानना ​​है कि ब्रह्मांड पुराण की रचना 7वीं शताब्दी ईस्वी से 6वीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुई थी।इसके अलावा,  कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


वायु पुराण में: यादवों का उल्लेख उनके राजनीतिक इतिहास और शासन का विवरण देते हुए किया जाता है।वायु पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वायु ऋषि को दिया जाता है।वायु पुराण के सबसे पुराने भागों की रचना 7वीं शताब्दी ईस्वी से 6वीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुई थी। वायु पुराण के अंतिम भागों की रचना 10वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास हुई थी।इसके अलावा,  कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


मत्स्य पुराण में: यादवों का उल्लेख प्रलय कथा में उनकी भूमिका का विवरण देते हुए किया जाता है।मत्स्य पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। वेदव्यास रामायण, महाभारत, और अठारह पुराणों के रचयिता माने जाते हैं। मत्स्य पुराण का वर्तमान संस्करण 16वीं शताब्दी में या उससे बाद में लिखा गया था। मत्स्य पुराण में कृष्ण के जीवन से संबंधित कुछ तत्व हैं जो तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस में भी पाए जाते हैं। तुलसीदास का समय 15वीं शताब्दी के अंत और 16वीं शताब्दी की शुरुआत है।मत्स्य पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है। मत्स्य पुराण अट्ठारह महापुराणों में से एक है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।


अग्नि पुराण में: यादवों का उल्लेख धार्मिक संस्कारों और अनुष्ठानों का उल्लेख करते हुए किया जाता है। अग्नि पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय अग्नि ऋषि को दिया जाता है।अग्नि पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।इसके अलावा,  कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया  है।

1. यादवों की उत्पत्ति क्या है?

यादवों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी।


2. क्या यादव क्षत्रिय हैं?

यादव एक आदिवासी क्षत्रिय जाति  है।


3. यादवों की प्रमुख परंपराएं क्या हैं?

यादवों की प्रमुख परंपराओं में गोपालन, कृषि, और युद्ध शामिल हैं। वे गोपालन को एक पवित्र व्यवसाय मानते हैं और गायों को बहुत सम्मान देते हैं। वे कृषि में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।


4. यादवों के कुछ प्रसिद्ध व्यक्ति कौन हैं?

यादवों में कई प्रसिद्ध व्यक्ति हैं, जिनमें भगवान कृष्ण, श्रीकृष्ण, यदुकुल के राजा,  महाभारत के योद्धा,   मुलायम सिंह यादव,  अखिलेश यादव,  शरद यादव,  और  लालू प्रसाद यादव  शामिल हैं।


5. यादवों की राजनीतिक शक्ति का क्या आधार है?

यादवों की राजनीतिक शक्ति का आधार उनकी संख्या और संगठन है। वे भारत में एक महत्वपूर्ण जाति समूह हैं, और वे विभिन्न राजनीतिक दलों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।


6. यादवों की सामाजिक स्थिति क्या है?

यादवों की सामाजिक स्थिति भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती है। कुछ क्षेत्रों में वे एक उच्च सामाजिक स्थिति का आनंद लेते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में उन्हें पिछड़े वर्गों में माना जाता है।


7. यादवों और अन्य जातियों के बीच संबंध कैसे हैं?

यादवों के अन्य जातियों के साथ संबंध जटिल हैं। कुछ क्षेत्रों में उनके अन्य जातियों के साथ अच्छे संबंध हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में उनके बीच तनाव और संघर्ष होता है।


8. यादवों की आर्थिक स्थिति क्या है?

यादवों की आर्थिक स्थिति भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती है। कुछ क्षेत्रों में वे अच्छी तरह से संपन्न हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में वे गरीबी में रहते हैं।


9. यादवों की शिक्षा स्थिति क्या है?

यादवों की शिक्षा स्थिति भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न होती है। कुछ क्षेत्रों में उनकी शिक्षा का स्तर उच्च है, जबकि अन्य क्षेत्रों में उनकी शिक्षा का स्तर कम है।


10. यादवों की सांस्कृतिक विरासत क्या है?

यादवों की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। उनकी अपनी भाषा, रीति-रिवाज और त्योहार हैं।


11. यादवों के भविष्य की संभावनाएं क्या हैं?

यादवों के भविष्य की संभावनाएं उज्ज्वल हैं। वे भारत में एक महत्वपूर्ण जाति समूह हैं, और वे विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं।


12. यादवों के बारे में कुछ अन्य रोचक तथ्य क्या हैं?

यादवों को अक्सर "गोप" या "गोपाल" भी कहा जाता है, जो गायों के पालन का संकेत देता है।

यादवों का अपना एक अलग धार्मिक संप्रदाय भी है, जिसे "यादव धर्म" कहा जाता है।

यादवों का भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

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