सर्दियों की उस रात, जब कोहरा पूरे शहर को अपनी चादर में लपेटे हुए था, पुलिस कंट्रोल रूम में एक कॉल आई। आवाज़ घबराई हुई थी— "साहब, विकास नगर के बंगले में खून हो गया!"
इंस्पेक्टर रवि प्रकाश ने फोन उठाया और पता पूछा। जवाब सुनते ही वह सतर्क हो गए। यह वही इलाका था, जहां शहर के बड़े उद्योगपति और प्रभावशाली लोग रहते थे। उन्होंने तुरंत अपनी टीम को इकट्ठा किया और मौके की ओर निकल पड़े।
अपराध स्थल
विकास नगर के बंगला नंबर 17 पर जैसे ही पुलिस की जीप रुकी, पड़ोस के लोग अपने घरों की खिड़कियों से झांक रहे थे। बंगले के मुख्य गेट पर निशा अरोड़ा खड़ी थीं, जिनकी आँखों में डर और बेचैनी झलक रही थी। उनके हाथ कांप रहे थे, और वह बार-बार बंगले के अंदर की ओर देख रही थीं।
रवि प्रकाश ने गहरी सांस ली और अंदर दाखिल हुए। ड्राइंग रूम की बत्तियां जल रही थीं, लेकिन माहौल में कुछ अजीब सा सन्नाटा था। सोफे के पास पड़े महंगे फारसी कालीन पर खून बिखरा हुआ था। बीचों-बीच एक अधेड़ उम्र का आदमी औंधे मुंह गिरा पड़ा था—श्रीकांत वर्मा, शहर के मशहूर बिजनेसमैन। उनके सिर से खून बहकर जमीन पर फैल गया था, और पास ही एक टूटी हुई कांच की बोतल पड़ी थी।
शुरुआती जांच
"ये किसने किया?" रवि प्रकाश ने कठोर आवाज़ में पूछा।
निशा अरोड़ा, जो श्रीकांत वर्मा की पुरानी मित्र थीं, कांपती आवाज़ में बोलीं, "मुझे नहीं पता… जब मैं आई, तो… वो पहले से ऐसे ही पड़े थे।"
घर में कोई जबरदस्ती घुसने के निशान नहीं थे, जिसका मतलब था कि कातिल या तो घर के अंदर ही था, या फिर उसे श्रीकांत वर्मा खुद जानते थे।
संभावित संदिग्ध
जांच आगे बढ़ी तो कई नाम सामने आए:
- निशा अरोड़ा – जो श्रीकांत वर्मा की करीबी थीं।
- अजय वर्मा – श्रीकांत वर्मा का बेटा, जिसके पिता से संबंध अच्छे नहीं थे।
- कबीर शर्मा – श्रीकांत का बिजनेस पार्टनर, जिनके बीच हाल ही में मनमुटाव हुआ था।
- रजत मेहरा – एक संदिग्ध व्यक्ति, जो हाल ही में श्रीकांत वर्मा को धमका रहा था।
रहस्य गहराता है
फोरेंसिक टीम को खून से सना हुआ एक दस्ताना मिला, लेकिन वह किसी भी व्यक्ति के डीएनए से मेल नहीं खा रहा था। उधर, कॉल रिकॉर्ड्स की जांच में पता चला कि हत्या की रात श्रीकांत वर्मा की आखिरी कॉल अजय वर्मा को की गई थी।
"क्या तुमने अपने पिता को मारा?" रवि प्रकाश ने अजय से पूछा।
अजय की आँखों में गुस्सा था। "नहीं! हाँ, हमारे रिश्ते अच्छे नहीं थे, लेकिन मैं अपने पिता की हत्या क्यों करूंगा?"
रवि प्रकाश को उसकी बात पर पूरा भरोसा नहीं हुआ। लेकिन तभी एक नया सुराग मिला—निशा अरोड़ा के कपड़ों पर खून के धब्बे।
"ये खून कहां से आया?"
निशा कुछ बोल न सकीं। वह अपनी जगह चुपचाप खड़ी रहीं।
असली कातिल का खुलासा
रात गहरी होती जा रही थी, और इंस्पेक्टर रवि प्रकाश के दिमाग में कुछ बातें स्पष्ट होने लगीं। उन्होंने आखिरकार सभी संदिग्धों को एक जगह बुलाया और कहा, "कातिल यहीं मौजूद है!"
सबकी साँसे थम गईं।
"हमें पता चला है कि श्रीकांत वर्मा की हत्या अचानक गुस्से में नहीं, बल्कि प्लानिंग के तहत की गई। हत्यारे ने यह सुनिश्चित किया कि शक किसी और पर जाए, लेकिन उसने एक गलती कर दी।"
सबने सवालिया नज़रों से इंस्पेक्टर की ओर देखा।
रवि प्रकाश ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "श्रीकांत वर्मा को मारने वाली कोई और नहीं बल्कि निशा अरोड़ा हैं!"
कमरे में सन्नाटा छा गया।
अपराध की साजिश
सच सामने आया— निशा अरोड़ा और कबीर शर्मा के बीच एक गुप्त रिश्ता था। श्रीकांत वर्मा को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने निशा को धमकाया कि वह इस राज़ को सबके सामने उजागर कर देंगे।
डर और गुस्से में आकर, निशा ने कबीर के साथ मिलकर इस हत्या की योजना बनाई। उन्होंने श्रीकांत को ड्रिंक में नशा दिया और जब वह बेहोश होने लगे, तो उन पर कांच की बोतल से वार कर दिया।
"लेकिन तुमने एक गलती कर दी, निशा। तुमने अपराध करने के बाद खून से सने कपड़े ठीक से नहीं बदले, और तुम्हारी झूठी गवाही ने तुम्हें पकड़वा दिया," रवि प्रकाश ने कहा।
अंत
निशा अरोड़ा और कबीर शर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट में पेशी के दौरान उन्होंने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
श्रीकांत वर्मा की हत्या की गुत्थी सुलझ चुकी थी, लेकिन इंस्पेक्टर रवि प्रकाश जानता था कि हर अपराध एक नए सवाल को जन्म देता है—क्या ये सिर्फ एक हत्या थी, या इसके पीछे और भी गहरे राज़ छिपे थे?
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