इंद्र तृतीय ने 914 से 929 ईस्वी तक शासन किया।
वह राष्ट्रकूट वंश के प्रसिद्ध शासक कृष्ण द्वितीय के पोते और जगत्तुंग के पुत्र थे।
उन्हें नित्यवर्षा, रत्तकंदरापा, राजमराथंडा और कीर्तिनारायण जैसे अनेक नामों से भी जाना जाता है।
इंद्र तृतीय की राजधानी माध्यमिका (आधुनिक महाराष्ट्र में मालेगांव) थी।
इंद्र तृतीय के शासनकाल में राष्ट्रकूट साम्राज्य की अर्थव्यवस्था समृद्ध थी।
कृषि, व्यापार और वाणिज्य फल-फूल रहा था।
सोने और चांदी के सिक्कों का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाता था।
इंद्र तृतीय ने अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
लालबाग मंदिर, बीजापुर: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर अपनी विशालता और भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
एलोरा गुफा मंदिर, महाराष्ट्र: ये 34 गुफा मंदिर हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों को समर्पित हैं। इन मंदिरों का निर्माण 6वीं से 10वीं शताब्दी के बीच किया गया था। एलोरा की गुफाएं यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं और ये अपनी मूर्तियों और भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं।
ओखला मंदिर, मध्य प्रदेश: यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर अपनी नक्काशीदार मूर्तियों और भित्ति चित्रों के लिए जाना जाता है।
महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर अपनी भव्यता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है।
पाल वंश पर विजय: इंद्र तृतीय ने 916 ईस्वी में कन्नौज पर आक्रमण कर पाल वंश के राजा देवपाल को पराजित किया।
प्रतिहारों पर विजय: 918 ईस्वी में, इंद्र तृतीय ने मालवा के प्रतिहार राजा भोज को पराजित किया।
ग्वालियर पर विजय: 920 ईस्वी में, इंद्र तृतीय ने ग्वालियर पर कब्जा कर लिया।
काश्मीर पर आक्रमण: 921 ईस्वी में, इंद्र तृतीय ने काश्मीर पर आक्रमण किया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
चेरा और चोल राज्यों पर विजय: 917 ईस्वी में, इंद्र तृतीय ने चेरा और चोल राज्यों को हराया।
कल्याणी चालुक्यों पर विजय: 922 ईस्वी में, इंद्र तृतीय ने कल्याणी चालुक्यों को हराया।
वेङ्गी चालुक्यों पर विजय: 925 ईस्वी में, इंद्र तृतीय ने वेङ्गी चालुक्यों को हराया।