भारत के मूल निवासी यादवों को कहते हैं।यादव एक आदिवासी क्षत्रिय जाति है। यादवों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। यादव भारतीय "मूल निवासी" हैं,आदिवासी शब्द दो शब्दों 'आदि' और 'वासी' से मिल कर बना है और इसका अर्थ " मूल निवासी " होता है। यादवों को अक्सर भगवान कृष्ण के वंशज माना जाता है,यादव धर्म वैष्णव धर्म को मानते हैं।यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।और वे भगवान कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते हैं। जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्व हैं। यादवों का मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन और व्यापार है, जो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हस्तिनापुर - मेरठ शहर में बसा हुआ. यह कुरु वंश की राजधानी थी.
द्वारका - गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित माना जाता है.
मथुरा - उत्तर प्रदेश में स्थित है
वृंदावन - उत्तर प्रदेश में स्थित है शामिल हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि यादवों को अक्सर कृषि, पशुपालन और व्यापार के व्यवसाय से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो आदिवासी संस्कृतियों के लिए सामान्य व्यवसाय हैं।
प्राचीन काल में यादव जाति के प्रसिद्ध राजाओं के नाम हैं:इन राजाओं ने भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भारत के उत्तरी भाग में कई शक्तिशाली साम्राज्यों की स्थापना की और भारत की संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध किया।
वसुदेव: वसुदेव यादवों के वृष्णि कुल के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पिता थे।
उग्रसेन: उग्रसेन यादवों के मत्स्य साम्राज्य के संस्थापक थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह थे।
विश्वजित: विश्वजित यादवों के मत्स्य साम्राज्य के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पुत्र थे।
विश्वपाल: विश्वपाल यादवों के मत्स्य साम्राज्य के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पौत्र थे।
बलराम: बलराम यादवों के वृष्णि कुल के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के बड़े भाई थे।
वासुदेव सेन: वासुदेव सेन यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के वंशज थे।
भोजराज: भोजराज यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे वासुदेव सेन के पुत्र थे।
अनंगपाल: अनंगपाल यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे भोजराज के पुत्र थे।
अंधक: अंधक यादवों के अंधक वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह के चचेरे भाई थे।
वृष्णि: वृष्णि यादवों के वृष्णि वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह थे।
क्रोष्टा: क्रोष्टा यादवों के क्रोष्टा वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह के चचेरे भाई थे।
सहस्रजीत: सहस्रजीत यादवों के सहस्रजीत वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के पितामह के चचेरे भाई थे।
सुरथ: सुरथ यादवों के सुरथ वंश के राजा थे। वे भगवान कृष्ण के चचेरे भाई थे।
देवकी: देवकी यादवों के वृष्णि कुल की राजकुमारी थीं। वे भगवान कृष्ण की माता थीं।
भारत के इतिहास की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण हाइडस्पेश की लड़ाई ।
326 ईसा पूर्व में, विश्व विजेता सिकंदर महान भारत पर आक्रमण किया। पोरस ने सिकंदर का सामना करने का फैसला किया और हाइडस्पेश की लड़ाई में सिकंदर के साथ युद्ध किया। यह लड़ाई इतिहास की सबसे प्रसिद्ध और बड़ी लड़ाई है।पोरस ने हार नहीं मानी सिकंदर ने पोरस को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी। हाइडस्पेश की लड़ाई के परिणामस्वरूप भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए। इस लड़ाई ने सिकंदर के भारत पर आक्रमण को रोक दिया। साथ ही, यह लड़ाई भारत और यूनान के बीच संस्कृतियों के आदान-प्रदान का मार्ग प्रशस्त किया।राजा पोरस एक महान योद्धा और शासक थे। उन्होंने अपने पराक्रम और उदारता से भारत के इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया।पोरस की मृत्यु 317 ईसा पूर्व में हुई।उन्होंने अपने पराक्रम और उदारता से भारत के लोगों के दिलों में जगह बना ली।
मलायकेतु : पोरस के पुत्र का नाम मलायकेतु था। वह एक साहसी और पराक्रमी योद्धा थे। उन्होंने अपने पिता के बाद पंजाब के राजा के रूप में शासन किया।
मध्यकालीन भारत में यादव जाति के कई राजा भी हुए हैं। इन राजाओं ने भारत के कई क्षेत्रों पर शासन किया और भारत की संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध किया।
राजा रायन यादव: 12वीं शताब्दी में यादवों के अहीरा वंश के राजा थे। वे मथुरा के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे, लेकिन बाद में उन्होंने महाराष्ट्र के देवगिरि क्षेत्र पर भी शासन किया।
प्रतापरुद्रवर्मन: 12वीं शताब्दी में यादवों के वंशज थे। वे आंध्र प्रदेश के काकतीय राजवंश के संस्थापक थे।
गंडाचार्य: 13वीं शताब्दी में यादवों के वंशज थे। वे आंध्र प्रदेश के काकतीय राजवंश के एक शक्तिशाली सेनापति थे।
रुद्रदेव: 14वीं शताब्दी में यादवों के वंशज थे। वे आंध्र प्रदेश के काकतीय राजवंश के अंतिम राजा थे।
वीरभद्र: 12वीं शताब्दी में यादवों के वंशज थे। वे कर्नाटक के होयसल राजवंश के संस्थापक थे।
सोमेश्वर प्रथम: 13वीं शताब्दी में यादवों के वंशज थे। वे कर्नाटक के होयसल राजवंश के एक शक्तिशाली राजा थे।
हरिहर , बुक्का , देवराय , कृष्णदेवराय : विजयनगर साम्राज्य: 14वीं शताब्दी में यादवों के वंशज थे। वे तमिलनाडु और कर्नाटक में विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे। यह साम्राज्य मध्यकालीन भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य था। इस साम्राज्य ने लगभग 300 वर्षों तक अस्तित्व में रहा।
- राजा रायन यादव: 12वीं शताब्दी में मथुरा के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- गोविंद राजा: 13वीं शताब्दी में मथुरा के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- सुहेलदेव: 13वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के रायबरेली क्षेत्र पर शासन करते थे।
- संग्राम सिंह: 12वीं शताब्दी में दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- भीमसेन (भीमराजा): 13वीं शताब्दी में दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- जयचंद: 13वीं शताब्दी में दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- नरसिंह यादव: 14वीं शताब्दी में दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- राय भोज: 15वीं शताब्दी में मालवा के क्षेत्र पर शासन करते थे।
- मल्लनाथ: 15वीं शताब्दी में मालवा के क्षेत्र पर शासन करते थे।
- अरिसिंघ यादव: 14वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के कानपुर क्षेत्र पर शासन करते थे।
- वीरभद्र: 15वीं शताब्दी में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र पर शासन करते थे।
आधुनिक भारत के कुछ प्रमुख यादव के राजनेताओं के नाम:-
- मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी के संस्थापक और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।
- अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।
- शरद यादव, जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ।
- ललन सिंह, बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष।
- तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय जनता दल के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री।
- अजय सिंह यादव, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री।
- राम गोपाल यादव, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता।
- ओम प्रकाश यादव, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता।
यादवों के बारे में कुछ अन्य दिलचस्प तथ्य:-
- यादवों को अक्सर ठाकुर भी कहा जाता है,ठाकुर नाम का शाब्दिक अर्थ है "मुखिया" या "राजा"। यादवों को अक्सर ठाकुर के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे प्राचीन काल में शासन करते थे। यादवों ने भारत पर कई शताब्दियों तक शासन किया है ।इस प्राचीन काल को ही भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है ।
- यादवों को अक्सर "अहीर" भी कहा जाता है।अहीर नाम का शाब्दिक अर्थ है "वीर योद्धा"। यादवों को उनके शौर्य और वीरता के लिए भी जाना जाता है।
- यादवों को अक्सर "गोसाई "भी कहा जाता है,गोसाई नाम का शाब्दिक अर्थ है "भक्ति करने वाला"। यादवों वैष्णव धर्म का होने कारण उन्हें "गोसाई "नाम से भी जाना जाता है।
- यादवों को अक्सर "भंडारी "भी कहा जाता है, भंडारी नाम का शाब्दिक अर्थ है "व्यापारी"। यादवों को प्राचीन काल से ही व्यापार के व्यवसाय से जुड़े होने के कारण उन्हें भंडारी नाम से भी जाना जाता है।
- यादवों को अक्सर "गोपाल" भी कहा जाता है, गोपाल नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"।
- यादवों को अक्सर "गोप" भी कहा जाता है,गोप नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादवों को अक्सर "गोल्ला "भी कहा जाता है,गोल्ला नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादव को अक्सर गवली भी कहा जाता है,।गवली नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"।
- यादवों को अक्सर "केशव" भी कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "कृष्ण का अवतार"।
- यादवों को अक्सर "ठेठवार" भी कहा जाता है,ठेठवार नाम का शाब्दिक अर्थ है "मूल निवासी"।
- यादवों को अक्सर "झेरिया" भी कहा जाता है,झेरिया नाम का शाब्दिक अर्थ है "झरने का निवासी"।
- यादवों को अक्सर "कोसरिया" भी कहा जाता है,कोसरिया नाम का शाब्दिक अर्थ है "कोस की भूमि का निवासी"।
- यादवों को अक्सर "गोयल" भी कहा जाता है,नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादवों को अक्सर "गोदा" भी कहा जाता है,गोदा नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादवों को अक्सर "कोनार "भी कहा जाता है,कोनार नाम का शाब्दिक अर्थ है "राजा और चरवाहा"।
- यादवों को अक्सर "येरोगोल्ला "भी कहा जाता है,येरोगोल्ला नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों पालने वाला"।
- यादवों को अक्सर "मनियानी "भी कहा जाता है,मनियानी नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"।
यादव जाति भारत की एक बड़ी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है। यह जाति भारत के विभिन्न क्षेत्रों में निवास करती है और विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से अहीर और गोपाल जाति नामों से जाना जाता है।उत्तर प्रदेश में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं राउत,गोदा,गवली,गोरख,मल्ल,गोसाईउत्तर प्रदेश में यादवों की जनसंख्या 25 मिलियन है। वे उत्तर प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।
बिहार: बिहार में यादवों को मुख्य रूप से अहीर और गोपाल जाति नामों से जाना जाता है। बिहार में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं राउत,गोदा,गवली,गोरख,मल्ल,गोसाई अहीर नाम का प्रयोग पूरे बिहार में किया जाता है, जबकि गोपाल नाम का प्रयोग मुख्य रूप से बिहार के पश्चिमी भाग में किया जाता है।बिहार में यादवों की जनसंख्या 15 मिलियन है। वे बिहार की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।
राजस्थान: राजस्थान में यादव को मुख्य रूप से अहीर, गोप, गोदा, गवली और गोसाई जाति नामों से जाना जाता है।राजस्थान में यादवों की जनसंख्या 10 मिलियन है। वे राजस्थान की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से अहीर, गवली, गोप और गोसाई जाति नामों से जाना जाता है।मध्य प्रदेश में यादवों की जनसंख्या लगभग 12 मिलियन है। वे मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 12% हिस्सा बनाते हैं।
पंजाब: पंजाब में यादवों को मुख्य रूप से अहीर, गवली और गोप जाति नामों से जाना जाता है। पंजाब में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं राउत,गोदा,मल्ल,गोरख पंजाब में यादवों की जनसंख्या लगभग 1.5 मिलियन है। वे पंजाब की कुल जनसंख्या का लगभग 2% हिस्सा बनाते हैं।
उत्तराखंड: उत्तराखंड में यादवों को मुख्य रूप से अहीर, गवली, गोप और गोसाई जाति नामों से जाना जाता है।उत्तराखंड में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे उत्तराखंड की कुल जनसंख्या का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं।छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में यादवों को मुख्य रूप से ठेठवार, झेरिया और कोसरिया जाति नामों से जाना जाता है।छत्तीसगढ़ में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।
झारखंड: झारखंड में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गोप और गवली जाति नामों से जाना जाता है।झारखंड में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे झारखंड की कुल जनसंख्या का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं।
हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गोयल और गवली जाति नामों से जाना जाता है।हिमाचल प्रदेश में यादवों की जनसंख्या लगभग 1 मिलियन है। वे हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 7% हिस्सा बनाते हैं।
दिल्ली: दिल्ली में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गोयल और गवली जाति नामों से जाना जाता है।दिल्ली में यादवों की जनसंख्या लगभग 1 मिलियन है। वे दिल्ली की कुल जनसंख्या का लगभग 6% हिस्सा बनाते हैं।
गुजरात: गुजरात में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गोयल, गवली, ठेठवार, झेरिया और कोसरिया जाति नामों से जाना जाता है।गुजरात में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे गुजरात की कुल जनसंख्या का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं।
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में यादवों को मुख्य रूप से ठाकुर, गवली, अहिर, राउत, गोदा, मल्ल और गोरख जाति नामों से जाना जाता है।महाराष्ट्र में यादवों की जनसंख्या लगभग 10 मिलियन है। वे महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।
गोवा: गोवा में यादवों को मुख्य रूप से भंडारी जाति नाम से जाना जाता है।गोवा में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं गवली,राउत,गोदा,मल्ल,गोरख गोवा में यादवों की जनसंख्या लगभग 1 लाख है। वे गोवा की कुल जनसंख्या का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं।
कर्नाटक: कर्नाटक में यादवों को मुख्य रूप से गोल्ला जाति नाम से जाना जाता है।गोवा में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिलहैंगवली,राउत,गोदा,मल्ल,गोरख कर्नाटक में यादवों की जनसंख्या लगभग 2 मिलियन है। वे कर्नाटक की कुल जनसंख्या का लगभग 8% हिस्सा बनाते हैं।
तेलंगाना: तेलंगाना में यादवों को मुख्य रूप से गोल्ला, गवली और कोनार जाति नामों से जाना जाता है।तेलंगाना में यादवों की जनसंख्या लगभग 5 मिलियन है। वे तेलंगाना की कुल जनसंख्या का लगभग 10% हिस्सा बनाते हैं।
आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में यादवों को मुख्य रूप से गोल्ला, गवली और येरोगोल्ला जाति नामों से जाना जाता है।आंध्र प्रदेश में यादवों की जनसंख्या लगभग 10 मिलियन है। वे आंध्र प्रदेश की कुल जनसंख्या का लगभग 15% हिस्सा बनाते हैं।
केरल: केरल में यादवों को मुख्य रूप से मनियानी जाति नाम से जाना जाता है।केरल में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं कोलाया,अकीरकेरल में यादवों की जनसंख्या लगभग 1 मिलियन है। वे केरल की कुल जनसंख्या का लगभग 2% हिस्सा बनाते हैं।
तमिलनाडु: तमिलनाडु में यादवों को मुख्य रूप से कोनार जाति नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैंअय्यंकाली,कोडावन्,नल्लू तमिलनाडु में यादवों की जनसंख्या लगभग 1 मिलियन है। वे तमिलनाडु की कुल जनसंख्या का लगभग 2% हिस्सा बनाते हैं।
पुडुचेरी: पुडुचेरी में यादवों को मुख्य रूप से गोंदा जाति नाम से जाना जाता है। पुडुचेरी में यादवों के कुछ अन्य जाति नामों में शामिल हैं गवली,राउत पुडुचेरी में यादवों की जनसंख्या लगभग 100,000 है। वे पुडुचेरी की कुल जनसंख्या का लगभग 5% हिस्सा बनाते हैं।
पुराणों का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, इस कथन का अर्थ है कि पुराणों में वर्णित घटनाओं और व्यक्तियों को ऐतिहासिक सत्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता
नोट :-सामान्य तौर पर, पुराणों को 5वी शताब्दी के बाद लिखा गया माना जाता है।कुछ घटनाएं और व्यक्ति 5वी शताब्दी के बाद के समय के हैं। पुराणों में वर्णित धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का विश्लेषण से पता चलता है कि ये मान्यताएं 5वी शताब्दी के बाद विकसित हुईं।इसके अलावा, गीता में कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।पुराणों का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, इस कथन का अर्थ है कि पुराणों में वर्णित घटनाओं और व्यक्तियों को ऐतिहासिक सत्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। पुराणों की रचना का काल निर्णय एक विषम समस्या है। पुराणों में वर्णित घटनाओं और व्यक्तियों की तिथि-निर्धारण के लिए कोई निश्चित आधार उपलब्ध नहीं है।
5वीं शताब्दी की अंतरराष्ट्रीय ऐतिहासिक घटनाएं
5वीं शताब्दी अर्थात आज से लगभग 1,500 साल पहले की है । 5वीं शताब्दी की ऐतिहासिक घटनाएं हैं:-रोमन साम्राज्य का पतन,जर्मनिक जनजातियों का उदय,बाइबिल का अंतिम संस्करण का प्रकाशन,महान चीनी सम्राटों में से एक, सम्राट वू के शासनकाल की शुरुआत।
यादव जाति का उल्लेख इन सभी ग्रंथों में मिलता है, पर प्रत्येक में उनके बारे में जानकारी की प्रकृति थोड़ी भिन्न होती है। चलिए एक-एक करके देखते हैं:
ऋग्वेद: ऋग्वेद में यादवों को पांच भारतीय आर्य जनों (पंचजन, पंचक्षत्रिय या पंचमानुष) में से एक के रूप में संदर्भित किया गया है।10.63.7 श्लोक में उन्हें "यदुवंशी" के रूप में वर्णित किया गया है।ऋग्वेद को चारों वेदों में सबसे प्राचीन माना जाता है।
नोट :- वर्तमान 16वीं शताब्दी अकबर के समय में लिखी गई ऋग्वेद की सबसे पुरानी प्रतिलिपि को "निकल शाखा" कहा जाता है। यह प्रतिलिपि 16वीं शताब्दी के अंत में लिखी गई थी।इसके अलावा, बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
महाभारत: महाभारत यादवों के बारे में सबसे विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
उन्हें राजा ययाति और रानी देवयानी के पुत्र महाराजा यदु के वंशज के रूप में वर्णित किया गया है।
यह उनके विभिन्न उप-समूहों, राजवंशों (जैसे मत्स्य, द्वारका) और वंशावली को भी सूचीबद्ध करता है।
कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों के सहयोगी के रूप में उनकी भूमिका का प्रमुखता से वर्णन किया गया है।
महाभारत का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। वेदव्यास रामायण, महाभारत, और अठारह पुराणों के रचयिता माने जाते हैं। महाभारत के युद्ध का समय आमतौर पर 3102 ईसा पूर्व माना जाता है।
नोट :-महाभारत की रचना का समय आमतौर पर 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 4वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच माना जाता है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
हरिवंश पुराण :पुराणों में से एक, हरिवंश यादवों को भगवान कृष्ण के वंशजों के रूप में वर्णित करता है।
यह उनके सामाजिक-धार्मिक जीवन, परंपराओं और धार्मिक महत्व पर विवरण देता है।
भगवान कृष्ण के पूर्वजों, विशेष रूप से वसुदेव और देवकी वंश का विस्तृत वर्णन मिलता है।
हरिवंश पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय कृष्णद्वैपायन वेदव्यास को दिया जाता है।
नोट :-हरिवंश पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
विष्णु पुराण में, यादवों का उल्लेख उनके वंश और उत्पत्ति का विवरण देते हुए किया जाता है।
विष्णु पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय पराशर ऋषि को दिया जाता है।
नोट :- विष्णु पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है। विष्णु पुराण अट्ठारह महापुराणों में से एक है इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
भगवत पुराण में, यादवों का उल्लेख भगवान कृष्ण के जीवन और कार्यों के संदर्भ में किया जाता है।
भगवत पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। वेदव्यास रामायण, महाभारत, और अठारह पुराणों के रचयिता माने जाते हैं।
नोट :-भगवत पुराण की रचना का समय आमतौर प 9वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
ब्रह्मांड पुराण में, यादवों का उल्लेख उनकी विभिन्न शाखाओं और उप-समूहों का विवरण देते हुए किया जाता है।
ब्रह्मांड पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वायु ऋषि को दिया जाता है।
ब्रह्मांड पुराण का वर्तमान संस्करण 16वीं शताब्दी में या उससे बाद में लिखा गया था। तुलसीदास का समय 15वीं शताब्दी के अंत और 16वीं शताब्दी की शुरुआत है। इस प्रकार, कुछ विद्वानों का मानना है कि ब्रह्मांड पुराण में कृष्ण के जीवन से संबंधित तत्वों को बाद में जोड़ा गया होगा।
नोट :-अधिकांश विद्वानों का मानना है कि ब्रह्मांड पुराण की रचना 7वीं शताब्दी ईस्वी से 6वीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुई थी।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
वायु पुराण में, यादवों का उल्लेख उनके राजनीतिक इतिहास और शासन का विवरण देते हुए किया जाता है।
वायु पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वायु ऋषि को दिया जाता है।
नोट :-वायु पुराण के सबसे पुराने भागों की रचना 7वीं शताब्दी ईस्वी से 6वीं शताब्दी ईस्वी के बीच हुई थी। वायु पुराण के अंतिम भागों की रचना 10वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास हुई थी।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
मत्स्य पुराण में, यादवों का उल्लेख प्रलय कथा में उनकी भूमिका का विवरण देते हुए किया जाता है।
मत्स्य पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। वेदव्यास रामायण, महाभारत, और अठारह पुराणों के रचयिता माने जाते हैं। मत्स्य पुराण का वर्तमान संस्करण 16वीं शताब्दी में या उससे बाद में लिखा गया था। मत्स्य पुराण में कृष्ण के जीवन से संबंधित कुछ तत्व हैं जो तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस में भी पाए जाते हैं। तुलसीदास का समय 15वीं शताब्दी के अंत और 16वीं शताब्दी की शुरुआत है।
नोट :- मत्स्य पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है। मत्स्य पुराण अट्ठारह महापुराणों में से एक है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
अग्नि पुराण में, यादवों का उल्लेख धार्मिक संस्कारों और अनुष्ठानों का उल्लेख करते हुए किया जाता है। अग्नि पुराण का सबसे पुराना संस्करण संस्कृत भाषा में लिखा गया था और इसका श्रेय अग्नि ऋषि को दिया जाता है।
नोट :- अग्नि पुराण की रचना का समय आमतौर पर 7वीं शताब्दी ईस्वी के आसपास माना जाता है।इसके अलावा, कई बौद्ध और जैन विचारों का समावेश है, जो इस बात का संकेत देते हैं कि यह ग्रंथ बौद्ध और जैन धर्मों के उदय के बाद लिखा गया है।
प्रश्न : यादव कौन हैं?
उत्तर : विद्वानों का मानना है कि यादवों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी।
प्रश्न : यादवों का इतिहास क्या है?
उत्तर :यादवों का इतिहास एक समृद्ध और विविध इतिहास है। यादवों एक आदिवासी क्षत्रिय जाति है। यादवों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। यादव भारतीय "मूल निवासी" हैं, यादवों को अक्सर भगवान कृष्ण के वंशज माना जाता है,यादव धर्म वैष्णव धर्म को मानते हैं।और वे भगवान कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते हैं। जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्व हैं। यादवों का मुख्य व्यवसाय कृषि, पशुपालन और व्यापार है, जो भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यादव जाति का उल्लेख विभिन्न वेदों और पुराणों में मिलता है। ऋग्वेद में, यादवों को पांच भारतीय आर्य जनों (पंचजन, पंचक्षत्रिय या पंचमानुष) में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। महाभारत, हरिवंश और पुराणों में, यादवों को राजा ययाति और रानी देवयानी के पुत्र महाराजा यदु के वंशज के रूप में वर्णित किया गया है। यादव जाति भारत के मूल निवासी हैं भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों का समर्थन करना और भगवान कृष्ण के रूप में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्व का उत्पादन करना शामिल है।
यादवों को आदिवासी क्षत्रिय समर्थन करने के लिए कुछ ऐतिहासिक प्रमाण हैं। उदाहरण के लिए, यादवों को भारत के उत्तरी भाग में कई प्राचीन राजवंशों के संस्थापक के रूप में जाना जाता है, जिनमें "वृंदावन , द्वारका, हस्तिनापुर और मथुरा" शामिल हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि यादवों को अक्सर कृषि, पशुपालन और व्यापार के व्यवसाय से जुड़ा हुआ माना जाता है, जो आदिवासी संस्कृतियों के लिए सामान्य व्यवसाय हैं। इस समय को ही भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है ।
मध्यकाल (600 ईस्वी से 1600 ईस्वी): इस काल में, यादवों ने कई छोटे-छोटे राज्यों की स्थापना की है। यादवों ने भारतीय संस्कृति और साहित्य में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आधुनिक काल वर्तमान में, यादवों ने भारतीय राजनीति में भी एक प्रमुख भूमिका निभाई है। कई यादव भारत के मुख्यमंत्री जैसे उच्च पदों पर आसीन रहे हैं।
प्रश्न : यादवों की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर : यादवों की जनसंख्या भारत में लगभग 200 मिलियन है। यह भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 12% है।
प्रश्न : यादव किस धर्म को मानते हैं?
उत्तर : यादव धर्म वैष्णव धर्म को मानते हैं।जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तित्व हैं। और वे भगवान कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते हैं।
प्रश्न :यादवों की मुख्य व्यवसाय क्या हैं?
उत्तर :यादवों की पारंपरिक व्यवसाय कृषि है। यादवों में पशुपालन भी एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। वे मुख्य रूप से गाय, भैंस, और बकरी पालते हैं।
प्रश्न : यादवों की प्रमुख सांस्कृतिक विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर : यादवों को अक्सर भगवान कृष्ण के वंशज माना जाता है,यादव धर्म वैष्णव धर्म को मानते हैं।और वे भगवान कृष्ण को अपना आराध्य देव मानते हैं।
यादवों के पास कई धार्मिक संस्कार और अनुष्ठान हैं, जिनमें जन्म, विवाह, और मृत्यु के अवसरों पर किए जाने वाले संस्कार शामिल हैं।
प्रश्न : यादवों की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ क्या हैं?
उत्तर : यादवों ने कई यादव राजवंशों की स्थापना की है,यादवों ने भारत पर कई शताब्दियों तक शासन किया है।यादवों ने भारतीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री जैसे उच्च पदों पर आसीन रहे हैं।दवों ने भारतीय संस्कृति में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यादवों के संगीत, नृत्य, और खेल भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं।
प्रश्न : यादवों की उत्पत्ति कहाँ हुई है?
उत्तर : विद्वानों का मानना है कि यादवों की उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी।इस समय को ही भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है ।
प्रश्न : यादवों की प्रमुख उपजातियाँ कौन सी हैं?
उत्तर : यादवों की प्रमुख उपजातियाँ निम्नलिखित हैं:
- यादवों को अक्सर "ठाकुर "भी कहा जाता है,ठाकुर नाम का शाब्दिक अर्थ है "मुखिया" या "राजा"। यादवों को अक्सर ठाकुर के रूप में जाना जाता है क्योंकि वे प्राचीन काल में कई क्षेत्रों में शासन करते थे।
- यादवों को अक्सर "अहीर" भी कहा जाता है।अहीर नाम का शाब्दिक अर्थ है "वीर योद्धा"। यादवों को उनके शौर्य और वीरता के लिए भी जाना जाता है।
- यादवों को अक्सर "गोसाई " भी कहा जाता है,गोसाई नाम का शाब्दिक अर्थ है "भक्ति करने वाला"। यादवों वैष्णव धर्म का होने कारण उन्हें "गोसाई "नाम से भी जाना जाता है।
- यादवों को अक्सर "भंडारी" भी कहा जाता है, भंडारी नाम का शाब्दिक अर्थ है "व्यापारी"। यादवों को प्राचीन काल से ही व्यापार के व्यवसाय से जुड़े होने के कारण उन्हें भंडारी नाम से भी जाना जाता है।
- यादवों को अक्सर "गोपाल" भी कहा जाता है, गोपाल नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"।
- यादवों को अक्सर "गोप" भी कहा जाता है,गोप नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादवों को अक्सर "गोल्ला"भी कहा जाता है,गोल्ला नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादव को अक्सर "गवली" भी कहा जाता है,।गवली नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"।
- यादवों को अक्सर "केशव" भी कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "कृष्ण का अवतार"।
- यादवों को अक्सर "ठेठवार" भी कहा जाता है,ठेठवार नाम का शाब्दिक अर्थ है "मूल निवासी"।
- यादवों को अक्सर "झेरिया" भी कहा जाता है,झेरिया नाम का शाब्दिक अर्थ है "झरने का निवासी"।
- यादवों को अक्सर "कोसरिया" भी कहा जाता है,कोसरिया नाम का शाब्दिक अर्थ है "कोस की भूमि का निवासी"।
- यादवों को अक्सर "गोयल" भी कहा जाता है,नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादवों को अक्सर "गोदा" भी कहा जाता है,गोदा नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का मालिक"।
- यादवों को अक्सर "कोनार " भी कहा जाता है,कोनार नाम का शाब्दिक अर्थ है "राजा और चरवाहा"।
- यादवों को अक्सर "येरोगोल्ला" भी कहा जाता है,येरोगोल्ला नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों पालने वाला"।
- यादवों को अक्सर "मनियानी" भी कहा जाता है,मनियानी नाम का शाब्दिक अर्थ है "गायों का रखवाला"।
प्रश्न : यादवों का समाज कैसे संगठित है?
उत्तर : यादवों के समाज में कई प्रकार के संगठन होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- गोत्र संघ: गोत्र संघ एक गोत्र के सभी सदस्यों का संगठन है। गोत्र संघ गोत्र के सदस्यों के हितों की रक्षा करता है, और गोत्र के त्योहारों और समारोहों का आयोजन करता है।
- उपजाति संघ: उपजाति संघ एक उपजाति के सभी सदस्यों का संगठन है। उपजाति संघ उपजाति के सदस्यों के हितों की रक्षा करता है, और उपजाति के त्योहारों और समारोहों का आयोजन करता है।
- क्षेत्रीय संगठन: क्षेत्रीय संगठन एक क्षेत्र के सभी यादवों का संगठन है। क्षेत्रीय संगठन क्षेत्र के यादवों के हितों की रक्षा करता है, और क्षेत्र के यादवों के विकास के लिए काम करता है।
प्रश्न : यादवों का समाज कैसे संगठित है?
उत्तर : यादवों का समाज मुख्य रूप से तीन स्तरों पर संगठित है:
परिवार स्तर: यादव परिवार आमतौर पर बड़े और एकजुट होते हैं। परिवार के सदस्य एक-दूसरे के लिए बहुत स्नेह और सम्मान रखते हैं। परिवार के सदस्य अक्सर एक साथ रहते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं।
गोत्र स्तर: यादवों को गोत्रों में बांटा गया है। गोत्र एक वंशावली समूह है जिसे एक सामान्य पूर्वज के रूप में मान्यता प्राप्त है। गोत्र के सदस्य एक दूसरे के लिए जिम्मेदारी महसूस करते हैं। गोत्र के सदस्य अक्सर एक साथ मिलते-जुलते हैं और सामाजिक और धार्मिक समारोहों में भाग लेते हैं।
सामाजिक संगठन स्तर: यादवों के कई सामाजिक संगठन हैं जो समाज के कल्याण के लिए काम करते हैं। इन संगठनों का उद्देश्य यादवों की शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक स्थिति में सुधार करना है।
यादवों के समाज में कई पारंपरिक प्रथाएँ भी हैं जो उन्हें एकजुट करती हैं। इनमें शामिल हैं:
धार्मिक अनुष्ठान: यादवों के लिए धार्मिक अनुष्ठान बहुत महत्वपूर्ण हैं। वे अक्सर मंदिरों में जाते हैं और धार्मिक समारोहों में भाग लेते हैं। धार्मिक अनुष्ठान यादवों को एक साथ लाते हैं और उन्हें एक साझा पहचान प्रदान करते हैं।
लोक संस्कृति: यादवों की अपनी समृद्ध लोक संस्कृति है। इसमें लोक संगीत, लोक नृत्य, और लोक कथाएँ शामिल हैं। लोक संस्कृति यादवों को एक साथ लाती है और उन्हें एक साझा इतिहास और संस्कृति प्रदान करती है।
प्रश्न : यादवों की कोई विशेष भाषा या बोली है?